Sunday, May 30, 2010

जिंदगी पार्ट 2

दायब पड़े हुवा तेरे दर पे नहीं हु मैं ,
खाक ऐसी जिंदगी पे एक पत्थर नहीं हु मैं,
क्यों गर्दिसे मुदाम से घबरा ना जाये दिल,
इंसान हू, प्याला व सागर नहीं हू मैं ,
या रब्ब जमाना मुझको मिटाता है किस लिए,
लौहे जहाँ पर हर्फ़ पे मुक्कर नहीं हू मैं,


"एक रास्ता है जिंदगी जो थम गए तो कूछ नही
ये कदम किसी मुकाम पे जो जम गए तो कूछ नही "


कमल कश्यप